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19 मई 2015

धनिये में महंगाई की रिकॉर्ड दौड़

वक्त से थोड़ा पहले ही मॉनसून आने की खबर के बावजूद कृषि जिंसों से महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है। मॉनसूनी फुहारों के साथ कृषि उत्पादों की कीमतें भी ठंडी होने लगेंगी लेकिन उत्पादन कम होने की बढ़ती आशंका के चलते धनिया महंगाई का नया रिकॉर्ड बनाने के रास्ते पर अग्रसर दिख रही है। वायदा बाजार में धनिया 12,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच चुकी है जबकि हाजिर बाजार में 9,000 रुपये के ऊपर खड़ी है। करीब ढाई महीने में धनिये की कीमतें दोगुनी हो गई हैं।

पिछले ढाई महीनों में सबसे ज्यादा धनिये की कीमतें बढ़ी हैं। वायदा बाजार में धनिये की कीमतें हर दिन तेजी से बढ़ रही हैं। सोमवार को ये 12,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच गईं। एनसीडीईएक्स पर धनिये के सभी अनुबंधों में करीब 6 फीसदी की भारी तेजी देखने को मिली। धनिया अगस्त अनुबंध 685 रुपये बढ़कर 12,115 रुपये और सितंबर 702 रुपये बढ़कर 12,412 रुपये प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गया जबकि जून अनुबंध 660 रुपये उछल कर 11,660 रुपये और जुलाई 675 रुपये बढ़कर 11,940 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गया। वायदा बाजार में मार्च की शुरुआत में धनिये की कीमतें 6,240 रुपये बोली जा रही थीं जबकि हाजिर बाजार में 5,500 रुपये प्रति क्ंिवटल थीं जो इस समय 9,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच चुकी हैं।

हाजिर और वायदा की कीमतों में भारी अंतर की वजह मंडियों में आ रही खराब गुणवत्ता वाली धनिया को बताया जा रहा है। ऐंजल ब्रोकिंग के एग्री कमोडिटी विशेषज्ञ रितेश कुमार साहू कहते हैं कि धनिये की फसल पहले से ही कम थी, इसके बाद बारिश के कारण फसल खराब हुई, जिसके कारण कीमतें बढ़ रही हैं। मसाला मिल मालिकों की तरफ से धनिये की बेहतरीन मांग आ रही है। मांग में तेजी को देखते हुए कहा जा सकता है कि धनिये की कीमतें अब तक के सारे रिकॉर्ड तोडऩे की राह पर चल चुकी है। एनसीएमएल की इंडिया कमोडिटी इयर बुक 2015 के अनुसार पिछले कुछ सालों से धनिये की पैदावार पूरी तरह से अस्थिर है। दो से चार लाख टन के बीच पैदावार हो रही है। उत्पादन कम होने की सबसे बड़ी वजह किसानों का दूसरी फसल अपनाना है। राजस्थान में किसान धनिये की जगह चने को ज्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं।

इस साल धनिया 13,500 रुपये प्रति क्ंिवटल तक जा सकती है जो अब तक रिकॉर्ड होगा। वायदा बाजार में 21 नवंबर 2014 को धनिया 13,345 रुपये प्रति क्ंिवटल तक पहुंच चुकी है। मसाला कारोबारियों का कहना है कि फसल सीजन शुरू होते ही देश के ज्यादातर हिस्सों में बारिश होने से धनिये की फसल को भारी नुकसान हुआ है। बारिश ऐसे समय में हुई जब ज्यादातर हिस्सों में फसल पूरी तरह तैयार थी जिसके कारण भारी नुकसान हुआ है। दरअसल बारिश होने के कारण फसल में कीड़े भी लग गए थे। दक्षिण भारत के प्रमुख मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश में माहू नामक रोग ने धनिये की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया। हालांकि फसल खराब होने के आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं लेकिन कारोबारियों का कहना है कि इस बार करीब 50 फीसदी फसल खराब हो गई है, जिसके कारण कीमतों में तेजी आना शुरू हुई। कमोडिटी रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत में धनिये की मांग बढऩे की वजह से राजस्थान की मंडियों में धनिया तेज हुई है जबकि दक्षिण भारत में खड़ी फसल में रोग लगने से कीमतें बढ़ी हैं।

बारिश के बाद किसानों और कारोबारियों की तरफ से आवक तो बढ़ी थी लेकिन धनिये की गुणवत्ता खराब दिख रही है। धनिये का रंग हरे के जगह काला हो गया है। इसके बावजूद कीमतें ऊपर जा रही हैं क्योंकि मांग के मुताबिक आवक कमजोर है क्योंकि स्टॉकिस्टों और मिल मालिकों की तरफ से मांग बहुत ज्यादा है। चालू साल में 130-135 लाख बोरी (एक बोरी में 40 किलोग्राम) पैदावार होने का अनुमान है। मार्च-अप्रैल में बारिश होने के कारण राजस्थान में धनिये की फसल 45 फीसदी खराब हो गई है जिससे उत्पादन करीब आधा रहने का अनुमान लगाया जा रहा है, जबकि मध्य प्रदेश में भी उत्पादन 5 फीसदी कम होने की बात कही जा रही है। गुजरात में भी धनिये की फसल खराब होने के कारण उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 5 फीसदी कम होने की खबर आ रही है। (BS Hindi)

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