कुल पेज दृश्य

15 जून 2015

वैश्विक बाजारों में कपास का ज्यादा स्टॉक

भारत और अमेरिका जैसे दुनिया में सबसे अधिक कपास का उत्पादन करने वाले क्षेत्रों से आपूर्ति बढऩे और चीन से घटती मांग वजह से कपास कारोबारियों को जरूरत से ज्यादा स्टॉक की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चीन कपास का आयात करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है। चीनी मांग में जबरदस्त गिरावट की वजह से वित्त वर्ष 2016 में बुआई भी घट रही है। हालांकि बाजार में अभी भी जरूरत से ज्यादा आपूर्ति की स्थिति बनी रहेगी। वर्ष 2011-12 चीनी आयात पिछले सीजन में 53 लाख टन के मुकाबले दोगुना रहा। वर्ष 2014-15 में इसके 16 लाख टन हो जाने की उम्मीद है। इंटरनैशनल कॉटन एडवाइजरी कमेटी (आईसीएसी) रिपोर्ट के मुताबिक कपास की बुआई वर्ष 2015-16 काफी कम होगी और वैश्विक उत्पादन 8.5 फीसदी घटकर 239 लाख टन रह सकता है। हालांकि वैश्विक उपभोग में 2.33 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है और यह बढ़कर 249.3 लाख टन होगा।

हालिया विश्लेषण में राबो बैंक ने कहा कि वैश्विक उत्पादन के मुकाबले उपभोग 60 लाख गांठ ज्यादा हो सकता है। उनेंने कहा, 'कीमतें सितंबर 2015 तिमाही में 72 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड के स्तर पर रहने की उम्मीद है और नई फसल की कीमत दिसंबर तिमाही 72 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड के करीब होने की उम्मीद है।' भारत में हालात बहुत अधिक नहीं हैं। हालांकि कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कपास सीजन 2014-15 के लिए उत्पादन का अनुमान घटाकर 65 लाख टन कर दिया जबकि पिछले साल 69 लाख टन उत्पादन का अनुमान था।

आईसीएसी का अनुमान है कि वर्ष 2015-16 के दौरान भारत में फसल घटकर 64 लाख टन रह जाएगी। आईसीएसी के मुताबिक दुनिया में कपास का रकबा वर्ष 2015-16 में 7 फीसदी घटकर 313 लाख हेक्टेयर रह जाएगी। दुनिया भर में कपास के उत्पादन में नौ फीसदी की गिरावट के साथ 239 लाख टन रहने का अनुमान है। चीन में रकबा 12 फीसदी घटकर 38 लाख हेक्टेयर रह जाने की आशंका जताई जा रही है। चीन में उत्पादन वर्ष 2015-16 में घटकर 54 लाख टन के स्तर तक जा सकता है। अप्रैल, 2014 के दौरान चीन सरकार ने स्थानीय उत्पादकों की मदद करने के लिए कच्चे कपास को इकटï्ठा करने के तीन साल के कार्यक्रम को बंद कर दिया और इसके बजाय सरकार अपने रिजर्व स्टॉक को सीधे स्थानीय बाजारों में बेच रही है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: