कुल पेज दृश्य

15 जुलाई 2015

सोयाबीन की दोबारा बुआई की बढ़ी आशंका

स्थानीय मौसम वैज्ञानिकों ने भले ही लंबे समय तक सूखा पडऩे के लिए अलनीनो के प्रभाव से इनकार किया है लेकिन देश में सोयाबीन फसलों की दोबारा बुआई की स्थिति आ रही है। मध्यप्रदेश का मालवा सोया उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है जहां इस साल सामान्य से कम बारिश हुई है। सोपा के पूर्व अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'अगर कुछ दिनों तक और बारिश नहीं होती है तो दोबारा बुआई करनी पड़ सकती है जो जुलाई के अंत तक जारी रहेगी।'

इंदौर की सोपा (सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) एक स्वतंत्र एजेंसी है और यह सोयाबीन का सर्वेक्षण करती है। अग्रवाल के मुताबिक अनुमानत: 110 लाख हेक्टेयर रकबा बुआई के मुकाबले 90 फीसदी बुआई पूरी हो गई है। मध्य प्रदेश ने 56.50 लाख हेक्टेयर बुआई का लक्ष्य रखा है। राज्य कृषि विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, 'राज्य ने 52 लाख हेक्टेयर बुआई पूरी की है।' फिलहाल सोयाबीन पौधे का अंकुरण नजर आ रहा है और फसल की स्थिति अच्छी है। अग्रवाल बताते हैं, 'अगर सूखा पड़ता रहा तो इसका असर फसल पर होगा। हालांकि उम्मीद के मुताबिक ही बुआई के आंकड़े यह दर्शाते हैं कि भारत के रकबे में 10 फीसदी की तेजी है।' मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मॉनसून अब हिमालयी तराई क्षेत्रों की ओर बढ़ गया है इसलिए अब मध्य प्रदेश या महाराष्ट्र में कोई बारिश नहीं होगी। एक स्थानीय मौसम वैज्ञानिक का कहना है, 'इस वक्त कोई अलनीनो प्रभाव नहीं है लेकिन अगस्त के पहले हफ्ते के बाद इसका असर देखा जा सकता है। फिलहाल ऐसा कोई तंत्र नहीं है जो आने वाले दिनों में बारिश का पूर्वानुमान लगा सके। हालांकि मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्से में छिटपुट बारिश हो सकती है।'

उज्जैन, रतलाम, इंदौर और खंडवा जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है लेकिन बुरहानपुर जिले में काफी कम बारिश हुई है। रीवा, शाजापुर, मंदसौर, बैतूल, अलीराजपुर को छोड़कर सभी जिले में सामान्य से कम बारिश हुई है। पहले राज्य सरकार ने इस साल बुआई में गिरावट का अनुमान लगाया था क्योंकि जिंस की कीमतों में स्थिरता बनी हुई थी लेकिन बुआई के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि किसानों ने शायद ही दूसरे फसलों की ओर अपना ज्यादा रुझान दिखाया है। किसानों ने इस साल जून के दूसरे हफ्ते से ही फसल की बुआई शुरू कर दी थी। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: