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22 अक्तूबर 2015

अधिक खपत का अनुमान, कच्चे जूट की कीमतें तेज

जूट सलाहकार बोर्ड (जेएबी) द्वारा देसी बाजार में जूट की खपत बढऩे के अनुमानों के बीच कच्चे जूट की कीमत तेज बनी हुई है। अधिक कीमतों से जूट मिल मालिकों की कमाई पर जोर पड़ सकता है और इससे पहले से ही परेशानी में घिरे हुए जूट उद्योग का संकट और भी गहरा सकता है। चालू वित्त वर्ष में जेएबी द्वारा  कच्चे जूट की उपलब्धता 80 लाख गांठ आंकी गई है जो इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) और जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (जेसीआई) के अनुमानों के मुकाबले काफी अधिक है। कच्चे जूट की देसी खपत पिछले वर्ष के मुकाबले 100 फीसदी बढ़कर 2 लाख गांठ हो जाने की उम्मीद जताई गई है। देसी बाजार में खपत के आंकड़ों को अवास्तविक बताया है, जूट उद्योग का मानना है कि जेएबी ने खपत के आंकड़ों को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है।

आईजेएमए के अनुसार कच्चे जूट की उपलब्धता 75 लाख गांठ रहेगी जबकि जेसीआई ने 64.3 लाख गांठ जूट उपलब्ध होने की संभावना जताई है। आईजेएमए के चेयरमैन और बज बज कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष पोद्दार ने कहा, 'जेएबी ने पिछले वर्ष के स्टॉक को शून्य मानकर देसी बाजार में खपत के आंकड़े को जरूरत से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। लेकिन इसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। आंकड़ों को बढ़ाचढ़ाकर पेश करने की वजह से टीडी5 प्रकार के जूट की कीमत और न्यूनतम समर्थन मूल्य में काफी अंतर है। आगे कीमतों में और तेजी आएगी। जूट उद्योग को बढ़ती कीमतों का बोझ वहन करना पड़ेगा और लंबी अवधि के लिहाज से यह उद्योग के लिए नुकसानदायक साबित होगा।'

टीडी5 प्रकार के जूट की कीमत 47,000 रुपये प्रति टन है जबकि जूट के लिए 27,000 रुपये प्रति टन तय की गई है। एक बड़ी जूट मिल के मालिक का कहना है, 'कीमतों में अंतर बहुत ही अजीब है और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। सरकार को इस अंतर को कम करने के लिए कुछ करना चाहिए।' सरकार द्वारा कड़े कदम उठाए बिना उद्योग को राहत मिलने के आसार नहीं हैं।

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