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19 अक्तूबर 2015

मसाला कंपनियों की मांग घटने से जीरा में गिरावट


आर एस राणा
नई दिल्ली। मसाला कंपनियों की मांग कम होने से जीरा की कीमतों में गिरावट देखी गई।  गुजरात की उंझा मंडी में जीरा के भाव 3,100 से 3,500 रुपये प्रति 20 किलो क्वालिटीनुसार रहे तथा दैनिक आवक 4,000 से 5,000 बोरियों की हुई। उत्पादक राज्यों में जीरा की बुवाई षुरु हो चुकी है तथा चालू सीजन में बुवाई में कमी आने की आषंका है। ऐसे में आगामी दिनों में इसकी कीमतों मंे फिर से सुधार आने का अनुमान है।
त्यौहारी सीजन को देखते हुए जीरा में घरेलू मांग आगामी दिनों में बढ़ेगी, ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के जीरा की बराबर बनी रहेगी, इसलिए आगामी दिनों में भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है। जीरा की बुवाई का सीजन षुरु हो चुका है इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतें उत्पादक राज्यों में होने वाली जीरा की बुवाई की स्थिति पर भी निर्भर करेगी। सितंबर के आखिर में गुजरात में हुई बारिष जीरा की बुवाई के लिए अच्छी मानी जा रही है।
चालू सीजन में जीरा की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से जीरे की फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी जिसकी वजह से अच्छी गुणवत्ता के जीरा का स्टॉक कम है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित वर्ष 2015-16 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान देष से जीरा का निर्यात घटकर 27,000 टन का ही हुआ है जबकि वित वर्ष 2014-15 की समान अवधि में इसका निर्यात 49,000 टन का हुआ था। हालांकि वित वर्ष 2014-15 में जीरा के निर्यात में वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले 11 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी। उम्मीद है आगामी महीनों में निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
विष्व बाजार में भारतीय जीरे का भाव घटकर 3.31 डॉलर प्रति किलो रह गया जबकि विष्व बाजार में महीनाभर पहले इसके भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो थे।
टर्की और सीरिया में राजनीतिक गतिरोध होने के कारण इन देषों से जीरा के निर्यात में कमी आने की आषंका है। खाड़ी देषें के आयातक टर्की और सीरिया के मुकाबले भारत से आयात को प्राथमिकता देंगे। इन देषों के मुकाबले भारतीय जीरे की क्वालिटी भी उच्च गुणवत्ता की है।.........आर एस राणा

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