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22 अक्तूबर 2015

त्योहारी मांग से महंगे हुए खाद्य तेल

त्योहारी मांग और आयात शुल्क बढऩे से खाद्य तेलों के दाम चढऩे लगे हैं। महीने भर में खाद्य तेल 7 से 14 फीसदी महंगे हो चुके हैं। जानकारों का कहना है कि दिवाली तक खाद्य तेलों में तेजी बरकरार रह सकती है। कारोबारियों के मुताबिक त्योहारों के लिए खाद्य तेल की खरीदारी होने से बीते महीनों के मुकाबले मांग सुधरी है। पिछले माह आयात शुल्क बढऩे से आयातित तेलों के दाम भी अब चढऩे लगे हैं। लिहाजा, लंबे समय बाद खाद्य तेलों की कीमतों में सुधार हो रहा है। केंद्र सरकार ने 18 सितंबर को कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी और आरबीडी पामोलीन पर शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था।

16 सितंबर से अब तक आयातित तेलों में कच्चे पाम तेल के दाम 400 रुपये से बढ़कर 430 रुपये, आरबीडी पामोलीन के दाम 450 रुपये से बढ़कर 490 रुपये, सोया डिगम क्रूड के दाम 530 रुपये से बढ़कर 570 रुपये प्रति 10 किलोग्राम हो गए हैं। इस दौरान देसी तेलों में सरसों तेल 830 रुपये से बढ़कर 940 रुपये, रिफाइंड सोया तेल 635 रुपये से बढ़कर 670 रुपये और सूरजमुखी तेल 660 रुपये से बढ़कर 670 रुपये प्रति 10 किलोग्राम बिक रहा है। खाद्य तेल कारोबारी और आयातक सत्यनारायण अग्रवाल ने बताया कि त्योहारों पर खाद्य तेलों की खपत बढ़ जाती है, जिससे दाम बढ़े हैं। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के अध्यक्ष लक्ष्मीचंद अग्रवाल ने कहा कि आयात शुल्क बढऩे से भी कीमतों में तेजी आई है। सबसे ज्यादा तेजी सरसों तेल में देखी जा रही है, महीने भर में इसके दाम 10 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा बढ़ चुके हैं। दिल्ली खाद्य तेल कारोबारी संघ के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि बीते महीनों में खाद्य तेलों के दाम 15 साल के निचले स्तर तक चले ग (BS Hindi)

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