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18 नवंबर 2015

जूट आयुक्त तय करेंगे स्टॉक सीमा

कच्चे जूट और बी ट्विल जूट बैगों की कीमतें अनियंत्रित होते देख जूट आयुक्त के कार्यालय ने जूट मिलों पर स्टॉक सीमा लगाने पर जोर दिया। इसके अलावा आयुक्त कार्यालय ने बी ट्विल जूट बैगों की कीमतों पर प्रतिबंध लगाने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। कालाबाजारी और कुछ मिल मालिकों और कारोबारियों द्वारा कीमतों से छेड़छाड़ करने की वजह से कच्चे जूट की कीमतें 49,000 रुपये प्रति टन के स्तर तक पहुंच गई हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कीमतें 28,000 रुपये प्रति टन पर थीं, इस तरह कीमतों में करीब 75 फीसदी का इजाफा हुआ है।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के चेयरमैन मनीष पोद्दार ने कहा, 'कच्चे जूट और इसके साथ ही बी ट्विल बैगों की कीमतें कालाबाजारी की वजह से चढ़ेंगी। जूट आयुक्त के कार्यालय ने स्टॉक सीमा तय करने और बी ट्विल बैगों की कीमतों पर सीमा लगाने के विषय पर हम सभी से राय मांगी है।' कच्चे जूट की कीमतों में असामान्य वृद्घि और इसके बाद बी ट्विल बैगों की कीमतों में तेजी से खरीदारों पर दबाव बढ़ गया है। इसके अलावा मिलों में कच्चे जूट की अनुपलब्धता ने बैकलॉग बढ़ाने में मदद की जो 31 अक्टूबर, 2015 तक बढ़कर 1,42,000 गांठों के स्तर पर हो गया। आईजेएमए के चेयरमैन को दिए गए पत्र में जूट उपायुक्त दीपंकर महतो ने कहा, 'अगर यही परिस्थिति बरकरार रही तो जूट उद्योग के साथ ही खाद्यान्न उत्पादन खरीद पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। खाद्य मंत्रालय बैकलॉग और कच्चे जूट की उपलब्धता के मामलों को देखता है।'
जूट आयुक्त के कार्यालय ने कच्चे जूट के स्टॉक की सीमा लगाने, जूट मिलों में कच्चे जूट के उपभोग के लिए तीन हफ्तों का स्टॉक उपलब्ध कराने जैसे विषयों पर विचार करना शुरू कर दिया। आयुक्त कार्यालय ने बी ट्विल बैगों की कीमतों पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया है जिसके आधार पर सरकार इन बैगों की खरीदारी कर सकती है। साथ ही इसने कच्चे जूट की उपयुक्त कीमतों की भी सिफारिश की है।
आंध्र प्रदेश मेस्ता ट्वाइन मिल्स एसोसिएशन (एपीएमटीएमए) का मानना है कि कुछ मिलें/कारोबारी धीरे-धीरे कीमतें बढ़ाने के लिए नया दृष्टिïकोण अपना रहे हैं और आपूर्ति बाधित कर रहे हैं ताकि कमजोर मिलें बंद हो जाएं और कई मिलों की कीमत पर कुछ को फायदा पहुंचाने की कोशिश है। पश्चिम बंगाल के श्रम मंत्री और जूट आयुक्त को भेजे गए एक पत्र में एपीएमटीएमए ने कहा कि कुछ मिलें कच्चे जूट की कीमतें बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं क्योंकि मिलों के पास मौजूद 80 फीसदी स्टॉक तीन हफ्तों से भी कम वक्त में खत्म हो जाएगा। एपीएमटीएमए ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जमाखोरी खत्म करने का अभियान चलाने की सलाह दी है। साथ ही भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा इस मामले की जांच कराने की भी सिफारिश की है। (BS Hindi)

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