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23 मई 2016

अनाज का पर्याप्त भंडार, सूखे से निपटने में सक्षम

कई राज्यों में सूखा और पेयजल के बढ़ते संकट के बीच सरकार के लिए राहत देने वाली कुछ बातों में यह वजह भी शामिल है कि केंद्रीय पूल में अनाज के भंडार की स्थिति ठीक है। अप्रैल 2016 के अंत तक केंद्रीय पूल में भारत का अनाज भंडार 3.69 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 6.73 फीसदी ज्यादा है। यह भंडार, बफर भंडारण नियमों के लिए जरूरी मात्रा से अधिक लगभग 1.53 करोड़ टन है। 
 वर्ष 2016-17 में गेहूं खरीद में बाधाओं की उम्मीद कई विशेषज्ञ कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि उत्पादन में गिरावट रह सकती है। हालांकि ऐसी बाधा अगर आती भी है तो भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के लिए अनाज की कमी नहीं होगी क्योंकि राज्यों के पास इस संकट से निपटने के लिए पर्याप्त भंडार होगा। आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्यों के केंद्रीय पूल में अनाज का भंडार इतना पर्याप्त है कि सूखे की वजह से अचानक बढऩे वाली मांग को पूरा भी किया जा सकेगा। 
 हाल में उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वे देश के सूखा प्रभावित राज्यों में अनाज मुहैया कराने में सक्षम नहीं हैं खासतौर पर उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित क्षेत्र बुंदेलखंड क्षेत्र में और यह राज्य सरकार के लिए प्रबंधन का मसला ज्यादा लगता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश ने जनवरी महीने में एनएफएसए पर अमल करना शुरू कर दिया था और मौजूदा पीडीएस तंत्र के एनएफएसए में बदलाव में लगने वाला समय भी एक ऐसी वजह हो सकता है जिसकी वजह से लाभार्थियों को अनाज नहीं मिला। 
 केंद्र के रिकॉर्ड के मुताबिक अगर कानून पर पूरी तरह अमल किया जाना शुरू होता है तो राज्यों को एनएफएसए के तहत 92 फीसदी आबादी को कवर करना होगा। करीब 80 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में जबकि 65 फीसदी शहरी क्षेत्रों में होगी और अंत्योदय योजना के तहत भी इसे कवर किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की आबादी करीब 20 करोड़ है जिसमें से 14 करोड़ लोगों का वर्गीकरण गरीब और एनएफएसए के तहत अनाज के लिए पात्र लोगों के तौर होगा।
 एनएफएसए के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में आबादी के न्यूनतम 75 फीसदी का कवरेज लाभार्थियों के तौर पर किया जाना चाहिए जबकि शहरी क्षेत्रों में यह कम से कम 50 फीसदी तक होना चाहिए। आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश ने एनएफएसए के तहत कवर किए जाने योग्य ज्यादा लोगों की पहचान की है जो कानून की अनिवार्य सीमा से अधिक है। ऐसी स्थिति में एनएफएसए के तहत राज्य को आपूर्ति किए जाने वाले अनाज की पूर्ति 2016-17 के सीजन से ही की जाएगी। वर्ष 2015-16 में उत्तर प्रदेश को एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर), बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग) और एएवाई (अंत्योदय अन्न योजना) और खाद्य कानून के तहत 74.7 लाख टन अनाज का आवंटन किया गया जबकि खरीदारी लगभग 97.5 फीसदी की गई। बीपीएल और एएवाई परिवारों के लिए कुल खरीद बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया गया इसका अर्थ यह भी हुआ कि इसकी क्षतिपूर्ति अतिरिक्त आवंटन के जरिये किया जाएगा। (BS Hindi)

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