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08 नवंबर 2016

चीन को सुपारी निर्यात की योजना




चीन ने चाय के बाद भारतीय सुपारी के आयात में रुचि दिखाई है। कच्ची सुपारी की 400 किलोग्राम की पहली खेप नमूने के तौर पर चीन को अगले कुछ दिनों में भेजी जाएगी। चीन की कंपनियां कच्ची सुपारी का उपयोग माउथ फ्रेशनर में करती हैं। वे भारत से सुपारी का आयात करने के लिए सुपारी और कोको किसानों की एक सहकारी संस्था कैंपको के साथ बातचीत कर रही हैं। 
 कैंपको लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम सुरेश भंडारी ने कहा कि गुणवत्ता मंजूरी हासिल करने के लिए इस सप्ताह नमूने के तौर पर 400 किलोग्राम सुपारी चीन भेजी जाएगी। कच्ची सुपारी तैयार है और चूंकि यह पहली बार भेजी जा रही है, इसलिए कई सीमा शुल्क औपचारिकताओं का पालन करना पड़ रहा है। कैंपको काउ वेई वांग (स्वाद का राजा) को सुपारी की आपूर्ति करेगी। काउ वेई वांग चीन में सबसे बड़ी माउथ फ्रेशनर विनिर्माता है। भंडारी ने कहा कि खरीदार कंपनी पहले ही उनके यहां दौरा कर चुकी है और वह कच्चे माल की गुणवत्ता से संतुष्ट है।
 उन्होंने कहा कि खरीदार कंपनी ने कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम कम लगाई है,  लेकिन निर्यात मात्रा बढऩे पर यह समस्या दूर हो जाएगी। चीन के खरीदार कंपनी ने इस बात का संकेत दिया है कि वह सुपारी की गुणïवत्ता को सबसे ज्यादा तरजीह देगी। चीन की कंपनी ने 350 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम कीमत देने का संकेत दिया है। चीन में कच्ची सुपारी का प्रसंस्करण कर इसका इस्तेमाल माउथ फ्रेशनर और अन्य खाद्य उत्पादों में किया जाता है। चीन के हुनान प्रांत में हर साल 1.22 लाख टन सुपारी का उत्पादन होता है, लेकिन चीन में सुपारी की सालाना मांग करीब 7 लाख टन अनुमानित है। पूरे चीन में सुपारी माउथ फ्रेशनर के 20 से अधिक विनिर्माता हैं। 
 चीन में धूम्रपान छोडऩे के लिए माउथ फ्रेशनर का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादाद बढ़ रही है, लेकिन वहां माउथ फ्रेशनर की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि कैंपको के साथ करार करने वाली चीन की कंपनी पर्याप्त कच्चा माल मिलने के कारण फिलहाल मांग पूरी नहीं कर पा रही है। चीन में सुपारी की ज्यादातर मांग इंडोनेशिया पूरी कर रहा है, जहां यह एक जंगली फसल है।  
 भारत में हर साल 7.03 लाख टन सुपारी के उत्पादन का अनुमान है। कुछ साल पहले तक यह फसल अच्छा मुनाफा देती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कीमत 75,000 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 25,000 से 30,000 रुपये प्रति क्विंटल पर गई है। सुपारी कॉफी उत्पादों के लिए कॉफी के पौधों के बीच उगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। गौरतलब है कि इस समय कॉफी उत्पादकों को इस फसल से मामूली फायदा मिल रहा है। देश में हर साल सुपारी का उत्पादन करीब 50,000 टन बढ़ रहा है क्योंकि किसान धान की जगह यह फसल उगा रहे हैं। इससे सुपारी की कीमतों पर और दबाव बढ़ रहा है। 
 अब जोखिम कम करने की रणनीति के तहत उत्पादक निर्यात के बारे में विचार कर रहे हैं। पहले पाकिस्तान को सुपारी का निर्यात किया जाता था, लेकिन यह बहुत कम मात्रा में होता था। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायालय सुपारी और गुटखे पर पूरी तरह रोक लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में निर्यात बाजार खुलने से उत्पादकों को फायदा मिलेगा। भंडारी ने कहा कि अगर चीन को निर्यात होगा तो भारी मांग आएगी, जिससे किसानों को मदद मिलेगी। (BS Hndi)

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