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28 अप्रैल 2017

रुपये की मजबूती और ईरान की मांग कम होने से बासमती चावल नरम

आर एस राणा
नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती और उंचे भाव में ईरान की आयात मांग कम होने से घरेलू बाजार में बासमती चावल और धान की कीमतों में नरमी आई है। हरियाणा की करनाल मंडी में 1,121 पूसा बासमती धान का भाव 3,500 रुपये और 1,121 पूसा बासमती चावल सेला का भाव 6,500-6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। चालू महीने में जहां चावल के भाव में 5,00 से 6,00 रुपये और धान की कीमतों में 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है।
डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत बना हुआ है तथा इस समय एक डॉलर की कीतम 64 रुपये हो गई है। रुपया डॉलर के मुकाबले करीब 6.5 से 7 फीसदी मजबूत हुआ है इससे विदेश में बासमती चावल और महंगा हो गया है। जिसका असर बासमती चावल की निर्यात मांग पर पड़ा है बासमती चावल के सबसे बड़े आयातक ईरान ने पहले 880 डॉलर प्रति टन की कैप लगाई थी, लेकिन वाया दुबई 1,165 से 1,175 डॉलर प्रति टन की दर से सौदे हुए थे।
इस समय ईरान के साथ ही अन्य आयातक देशों से बासमती चावल के नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं, तथा पुराने सौदों का ही भुगतान हो रहा है। पुराने सौदों के भुगतान में भी डॉलर के मुकाबले रुपया की मजबूती का प्रभाव देखा जा रहा है। घरेलू बाजार में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला के मौजूदा भाव के आधार पर ईरान को निर्यात सौदे इस समय 1,210 से 1,225 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ)े की दर से होने चाहिए। घरेलू बाजार में बासमती चावल के उंचे भाव होने का असर भी नए निर्यात सौदों पर पड़ा है।
बासमती चावल के एक प्रमुख निर्यातक के अनुसार अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच युद्व की आशंका का असर भी चावल के निर्यात सौदों पर पड़ सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्दी ही कोई बड़ा निर्यात सौदा नहीं हुआ तो फिर घरेलू बाजार में बासमती चावल और धान की कीमतों में गिरावट आ सकती है, हॉ अगर अगले सप्ताहभर में एक-डेढ़ लाख टन चावल के निर्यात सौदे हो गए तो फिर भाव में पुरानी तेजी भी बन सकती है। जानकारों का मानना है कि ईरान के पास चावल का स्टॉक कम है।
एपिडा के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 35.91 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 37.18 लाख टन का हुआ था।........................आर एस राणा

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